हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (हाई कोलेस्ट्रॉल) अक्सर पारिवारिक इतिहास से जुड़ी होती है। अगर परिवार के किसी सदस्य को हाई कोलेस्ट्रॉल है, तो पतले लोगों को भी इसका खतरा हो सकता है।
पतले होने के बावजूद, अगर किसी की डाइट में अधिक मात्रा में संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और कोलेस्ट्रॉल युक्त खाद्य पदार्थ होते हैं, तो इससे हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।
कुछ लोगों का चयापचय (मेटाबोलिज़्म) असामान्य हो सकता है, जिससे उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, भले ही उनका वजन सामान्य हो।
हार्मोनल असंतुलन, जैसे कि थायरॉयड की समस्याएं, भी कोलेस्ट्रॉल स्तर को प्रभावित कर सकती हैं, चाहे व्यक्ति पतला हो या मोटा।
पतले लोग भी अगर पर्याप्त शारीरिक गतिविधि या व्यायाम नहीं करते हैं, तो उनकी कोलेस्ट्रॉल की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
कुछ दुर्लभ अनुवांशिक स्थितियों के कारण, पतले लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जैसे कि फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया।
कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि डायबिटीज़ या किडनी की समस्याएं, भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।
सभी वसा समान नहीं होते। पतले व्यक्ति में अगर शरीर में खराब वसा (LDL) अधिक है और अच्छा वसा (HDL) कम है, तो कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।