हिंदू धर्म में शंख बजाने को शुभ माना जाता है, लेकिन इसे सूर्यास्त के बाद बजाना शुभ नहीं माना जाता। यह माना जाता है कि शंख में भगवान विष्णु का वास होता है, और इसे केवल शुभ अवसरों और पूजा-पाठ के समय बजाना चाहिए।
शंख बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध होता है। लेकिन सूर्यास्त के बाद शंख बजाने से इस ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है, ऐसा माना जाता है।
रात के समय शंख बजाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है, इसलिए इसे रात में बजाने से बचने की सलाह दी जाती है।
कई परिवारों में यह परंपरा होती है कि शंख केवल सुबह और शाम के समय ही बजाया जाता है, रात में नहीं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो शंख बजाने से वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, लेकिन इसका समय सुबह और शाम का माना गया है। रात के समय इसे बजाने से कोई विशेष लाभ नहीं होता।
कुछ धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि सूर्यास्त के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए क्योंकि इस समय देवताओं का विश्राम काल होता है और राक्षसी शक्तियां सक्रिय होती हैं।
रात के समय शंख की तेज़ आवाज़ आसपास के लोगों की शांति भंग कर सकती है, इसलिए इसे रात में बजाने से परहेज़ करना चाहिए।
शंख बजाने से कई प्रकार के रोगों का निवारण होता है, लेकिन इसे दिन के समय करना ही लाभकारी माना जाता है। रात में इसका प्रभाव उल्टा हो सकता है, ऐसा कहा जाता है।