निर्देशक रवि जाधव ने भारत के विकल्पिक विचार को खोजने का प्रयास किया लेकिन उनकी कथा में कुछ उभरते कवि-राजनेता के कुछ चमकदार भाषणों के अलावा, परिणामस्वरूप यह खो गया है।
Main Atal Hoon
Main Atal Hoon : फिल्म की कथा अटल बिहारी वाजपेयी की शौर्यगाथाओं और उनके राजनीतिक जीवन को छूने का प्रयास करती है, लेकिन इसमें कई सीधे और छलांगभरे प्रस्तुतियां हैं। पंकज त्रिपाठी, जो अटल बिहारी वाजपेयी के भूमिका में हैं, उनकी महाराष्ट्रीय अनुकरण ने किरदार को जीवंत बना दिया है। उनका प्रदर्शन फिल्म को संजीवनी बूती देता है और उन्होंने कई सीन्स में अपनी शानदार अदा दिखाई है।
हालांकि, फिल्म का निर्देशन और रचना अच्छा नहीं है, और इसमें कई सीन्स ऐसे हैं जो अधिक होते हुए भी फिल्म का पेस नीचे कर देते हैं। कहानी में अनेक असंगत अंश हैं जो फिल्म को असंतुलित बना देते हैं और दर्शकों को भटका देते हैं।
फिल्म की संगीत से बच्चे और युवा जनरेशन को किसी कारगर तरीके से नहीं जोड़ा गया है, जो एक फिल्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी की शृंगार भाषा को बच्चों और युवा पीढ़ियों के साथ साझा करने का प्रयास करना एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण हो सकता था।
समस्याएं अवश्य हैं, लेकिन पंकज त्रिपाठी की प्रदर्शनी से फिल्म को उच्चीतम स्तर तक पहुंचाया जा सकता है। उनकी महाराष्ट्रीय अनुकरण ने अटल बिहारी वाजपेयी की वाणी को जीवंत किया है और उन्होंने अपने कला से फिल्म को रूचिकर बनाया है।
समाप्त में, ‘मैं अटल हूँ’ एक अच्छा प्रयास है जो अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी को साझा करने का प्रयास करता है, लेकिन इसकी तकनीकी दृष्टि से यह असम्पूर्ण रहता है। पंकज त्रिपाठी की शानदार प्रस्तुति के बावजूद, फिल्म को एक स्तर पर उठाने के लिए समर्पित स्थानों पर और सुझावों में और भी काम की जरुरत है।
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