International Mother Language Day 2023 : भाषा का किसी भी जीव के जीवन में बहुत महत्व होता है। मनुष्य से लेकर जानवर तक अपनी बातों को समझाने के लिए किसी ना किसी भाषा का उपयोग करते हैं। पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मना रहा है,मातृभाषा पर आए खतरे को लेकर शिक्षा जगत भी चिंतित है। ऐसे में मातृभाषाओं के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए बहुभाषी शिक्षा-शिक्षा को बदलने की आवश्यकता थीम पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। भारत एक विविधताओं का देश है और यही इसकी सबसे बड़ी पहचान है। यहां अनेक भाषाएं और बोलियां बोली, लिखी और पढ़ी जाती हैं। ऐसे में किसी भी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। भारत की एक बड़ी आबादी हिंदी भाषी है मगर बड़ी संख्या में लोग हिंदी न बोलते हैं न समझते हैं। न ही सभी को एक राष्ट्रभाषा सीखने और बोलने की कोई बाध्यता है।
International Mother Language Day का इतिहास
विश्व में जो भाषाएं सबसे ज्यादा बोली जाती हैं। उनमें अंग्रेजी, जैपनीज़, स्पैनिश, हिंदी, बांग्ला, रूसी, पंजाबी, पुर्तगाली, अरबी भाषा शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार लगभग 6900 भाषाएं हैं जो विश्व भर में बोली जाती हैं। इनमें से 90 प्रतिशत भाषाएं बोलने वाले लोग एक लाख से भी कम हैं। भारत की बात करें तो 1961 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। यूनेक्को की ओर से मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा 17 नवंबर 1999 को की गई थी और पहली बार वर्ष 2000 में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया था। 21 फरवरी को ही यह दिवस मनाए जाने का सुझाव कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा किया गया था, जिन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में 1952 में हुई नृशंस हत्याओं को स्मरण करने के लिए यह दिन प्रस्तावित किया था।
International Mother Language Day 2023 थीम
हर साल की तरह इस वर्ष भी इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे के लिए एक थीम का चुनाव किया गया है। 2023 के लिए “बहुभाषी शिक्षा – शिक्षा को बदलने की आवश्यकता” अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 को थीम के रूप में चुना गया है।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व
भारत एक ऐसा देश है जो विविधताओं से भरा हुआ है। रंग, रूप, वेश, भाषा, धर्म हर क्षेत्र में देश में विविधता देखने को मिलती है। बात की जाए भाषा की तो भारत एक बहुभाषी देश है। यहां की राष्ट्रभाषा भले ही हिंदी है, लेकिन हर राज्य की अलग अलग मातृभाषा है। इसके साथ ही हर राज्य में आने वाले जिलों, गांवों और कस्बों की भाषा में भी अंतर देखने को मिलता है। ऐसे में भारत देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की महत्वता और भी अधिक बढ़ जाती है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में द्विभाषिता और बहुभाषा का प्रचलन अधिक देखने को मिलता है। क्योंकि देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है, ऐसे में गैर हिंदी भाषी राज्यों कि अक्सर शिकायत होती है कि उन पर हिंदी थोपी जाती है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के माध्यम से सभी भाषाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करना भी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का एक उद्देश्य है।
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