नई दिल्ली, भारतीय मुद्रा रुपए का इंडेक्स डॉलर की तुलना में अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच गया। क्रूड आइल अर्थात् कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और बढ़ते व्यापार घाटे के बीच, भारतीय रुपया 77 डॉलर प्रति डॉलर के सबसे नीचे स्तर को पार कर गया। रुपया अपने पिछले बंद भाव से 41 पैसे नीचे 77.32 प्रति डॉलर पर रहा। इस गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कठोर रुख के परिणामस्वरूप अमेरिकी बॉन्ड मज़बूत हो गया है और डॉलर का सूचकांक अपने 20 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार पर असर
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में अपने आक्रामक गतिविधियों के लिए जाना जाता है और पहले भी 77 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहचने के बाद रिकवरी करते देखा गया है, अभी की बात करे तो इस उतार चढ़ाव से विदेशी मुद्रा भंडार लगभग $45 बिलियन कम हो गया है, जो 3 सितंबर 2021 के सप्ताहांत के अपने $642 बिलियन से भी कम हो गया है।आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 29 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 598 अरब डॉलर पर आ गया है।
विदेशी मुद्रा से जुड़े कारोबारियों ने कहा की मुद्रास्फीति के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच रिस्क लेने की क्षमता कम हुई है जिससे वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में और भी अधिक वृद्धि को गति प्रदान कर सकती है।
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स सूचकांक अपने स्तर से 0.35 प्रतिशत बढ़कर 104.02 पर कारोबार कर रहा था। जिसे ब्याज़दारों में भी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
भारतीय शेयर बाज़ार पर असर
रुपए की गिरावट का असर घरेलू इक्विटी बाजार पर भी देखने को मिला, आज सेंसेक्स 737 अंक यानी 1.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,098.58 अंक पर कारोबार करता खुला, जबकि एनएसई सूचकांक निफ्टी 220.25 अंक यानी 1.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,191.00 अंक पर कारोबार कर रहा है।
कच्चे तेज में चमक
वैश्विक तेल निर्धारक ब्रेंट में भी क्रूड वायदा बाज़ार 0.14 प्रतिशत बढ़कर 112.55 डॉलर प्रति बैरल हो गया।