नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कर्नाटक के आम उत्पादक किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने आम के लिए ₹1616 प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की है। इस कदम से कोलर, चिक्कबल्लापुर, रामनगर और बेंगलुरु ग्रामीण जिलों के लगभग ढाई लाख से अधिक किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलने की उम्मीद है।
पिछले दो वर्षों से आम किसान कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहे थे। जलवायु परिवर्तन, बाजार में कीमतों में भारी गिरावट, भंडारण की समस्या और फसलों में लगने वाली बीमारियों के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था। किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
देवेगौड़ा की पहल पर केंद्र का जवाब
पिछले महीने, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने आम किसानों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए फसल के लिए उचित समर्थन मूल्य देने का आग्रह किया था। केंद्र सरकार ने इस पत्र पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं एक पत्र के माध्यम से देवेगौड़ा को इस फैसले की आधिकारिक जानकारी दी। इस घोषणा के बाद किसानों में उम्मीद की एक नई लहर दौड़ गई है और उन्हें आर्थिक स्थिति में सुधार की आशा है।
किसानों और नेताओं ने जताई खुशी
पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह एक संतोषजनक खबर है कि केंद्र ने उनके अनुरोध पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “इस फैसले से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।”
वहीं, कोलर और चिक्कबल्लापुर के आम किसानों ने देवेगौड़ा की इस पहल के लिए उनका आभार व्यक्त किया है। एक किसान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“सरकार का यह फैसला आम की मिठास जैसा ही मीठा है!”
इस फैसले के बाद किसानों और देवेगौड़ा के समर्थकों ने जश्न मनाया।
बागवानी क्षेत्र के लिए नई उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह बागवानी क्षेत्र में एक नया विश्वास जगाने वाला कदम है। आम की खेती बेहद जोखिम भरी होती है, जिसमें किसानों को फसल तैयार होने तक काफी निवेश और मेहनत करनी पड़ती है।
फसल में रोग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है, जिससे पूरी लागत डूब सकती है। ऐसे में बाजार में सही कीमत न मिलने पर किसान बुरी तरह निराश हो जाते हैं। सरकार द्वारा घोषित यह एमएसपी भले ही उनकी सभी समस्याओं का समाधान न करे, लेकिन यह निश्चित रूप से उन्हें आर्थिक रूप से संभलने में मदद करेगा।









