नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के रायपुर दौरे के दौरान देश की प्रसिद्ध लोक कलाकार और पंडवानी की जीवंत किंवदंती, डॉ. तीजन बाई से फोन पर बातचीत की। छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव में शामिल होने पहुंचे पीएम मोदी ने इस अवसर पर पद्म विभूषण से सम्मानित तीजन बाई के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
यह बातचीत उस समय हुई जब प्रधानमंत्री राज्य के स्थापना दिवस समारोह के लिए रायपुर में थे। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने तीजन बाई के कला जगत में योगदान को सराहते हुए उन्हें देश की सांस्कृतिक धरोहर बताया। इस संवाद ने एक बार फिर कला और कलाकारों के प्रति सरकार के सम्मान को उजागर किया है।
कौन हैं पंडवानी की ‘साम्राज्ञी’ तीजन बाई?
तीजन बाई छत्तीसगढ़ की उस पंडवानी लोकगायन-नाट्य परंपरा की पहली महिला कलाकार हैं, जिसे सदियों तक केवल पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। पंडवानी, महाभारत की कथाओं का संगीतमय और नाटकीय रूपांतरण है। तीजन बाई ने न केवल इस परंपरा में प्रवेश किया, बल्कि अपनी अनूठी ‘कापालिक शैली’ से इसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया।
उनका जन्म छत्तीसगढ़ के गनियारी गांव में एक पारधी अनुसूचित जनजाति परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने अपने नाना ब्रजलाल पारधी को महाभारत की कहानियां सुनाते हुए सुना और वहीं से पंडवानी की प्रेरणा ली। 13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक मंच प्रदर्शन किया, जो उस समय एक महिला के लिए बड़ी साहसिक बात मानी जाती थी। उन्होंने सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए इस कला को अपनाया और अपनी दमदार आवाज, ऊर्जावान प्रदर्शन और विशिष्ट शैली से दर्शकों का दिल जीत लिया।
पुरुषों के गढ़ में एक महिला की ललकार
परंपरागत रूप से पंडवानी गायन की दो शैलियाँ हैं – वेदमती (बैठकर प्रदर्शन) और कापालिक (खड़े होकर अभिनय के साथ प्रदर्शन)। कापालिक शैली को शारीरिक रूप से अधिक चुनौतीपूर्ण और भावनात्मक रूप से गहन माना जाता है, जिस पर पुरुषों का एकाधिकार था। तीजन बाई ने इसी कापालिक शैली को चुना और उसे अपनी पहचान बनाया। हाथ में तंबूरा और खड़ताल लेकर जब वह मंच पर भीम, अर्जुन या द्रौपदी के चरित्रों को जीवंत करती हैं, तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा है। उन्हें 1987 में पद्म श्री, 2003 में पद्म भूषण और 2019 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2018 में फुकुओका पुरस्कार (जापान) जैसे कई प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी मिले हैं।
कला और कलाकार का सम्मान
प्रधानमंत्री मोदी का तीजन बाई को फोन करना केवल एक कुशलक्षेम पूछने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की लोक कलाओं और उनके साधकों के प्रति एक गहरा सम्मान दर्शाता है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि देश का नेतृत्व उन विभूतियों को याद रखता है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में समर्पित कर दी। तीजन बाई का जीवन और उनकी कला, दृढ़ संकल्प और परंपरा को नई दिशा देने की एक असाधारण कहानी है।








